Lyrics

Ravindra Jain có 28 bài viết

All the lyrics of the latest singer Ravindra Jain

Kesa Pake Tan Pran Thake - Ravindra Jain

केस पके तन प्रान थके
केस पके तन प्रान थके
अब राग-अनुराग को भार उतारो
मोह महा मद पान कियों
अब आत्म ज्ञान को
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Yehi Raat Antim Yehi Raat Bhaari - Chandrani Mukherjee - Ravindra Jain

यही रात अंतिम, यही रात भारी
बस एक रात की अब कहानी है सारी
यही रात अंतिम, यही रात भारी
नहीं बंधु-बांधव ना
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Jo Bichhadhe Bilkhat Phire Kevat Hoke Nishad - Ravindra Jain

जो बिछड़े बिलखत फिरे केवट हो के निषाद
धीर वीर रघुवीर उर ना कछु अर्श विषाद
गहरी नदिया बांस का पेड़ा लखन के हाथों मे
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Angad Beech Sabha Mein Tharo Bole Ram Ji Ki Jai - Ravindra Jain

समुझी प्रताप राम कपी कोपा, सभा माझ पन करी पद रोपा
जो मम चरण सकसी सठ ठारी, फिरहिं राम सीता मैं हारी
गढ़ गयो
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O Maiyya Tene Ka Thaani Mann Mein - Ravindra Jain

ओ मईया तैने का ठानी मन में
राम-सिया भेज दए री वन में
राम-सिया भेज दए री वन में
आ एरी तैने का ठानी मन
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Setu Adhar Banavan Laage - Ravindra Jain

कछु बानर कछु भाल समुहा
करे करे हु हा धावन लागे
करे करे हु हा धावन लागे
सेतु बनावन हेतु महाभठ
हाथ
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Shri Raghuvar Komal Kamalnayan Ko Pehnao Jaimala - Ravindra Jain

श्री रघुवर कोमल कमलनयन को, पहनाओ जयमाला, पहनाओ जयमाला
यह पुण्य महूर्त स्वर्णिम अवसर, फिर नहीं आने वाला, पहनाओ
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Sahaj Bhaav Se Shiv Dhanur Toda Janam Janam Ka Naata Joda - Ravindra Jain

सहज भाव से शिव धनु तोड़ा
जनम जनम का नाता जोड़ा
जय माला का शुभ क्षण आया
तीन लोक मे आनंद छाया
दो चार चरण
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Ayodhya Karti Hai Aahvaan - Deepmala - Ravindra Jain

राम भूमि की जय हो
जन्म भूमि की जय हो
राम लला की जय हो
ओओओ
अयोध्या करती है आव्हान ठाट से कर मंदिर
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Jin Par Kirpa Ram Kare Vo Paththar Bhi Tir Jate Hain - Ravindra Jain

राम नाम आधार जिन्हें
राम नाम आधार जिन्हें वो जल में राह बनाते हैं
जिन पर कृपा राम करें वो पत्थर भी तिर जाते
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Bharat Sam Nahi Duja Koi Tyagi - Ravindra Jain

भरत सम नहीं दुजा कोई त्यागी
भरत सम नहीं दुजा कोई त्यागी
राम लखन सिया वन में
भरत भये घर ही में बैरागी
भरत
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Prayag Ki Oor Chale Raghunatha - Ravindra Jain

रैन कटी आकाश के नीचे
सिया अनुज अरु मित्र के साथा
प्रात समय उठ तीरथ राज
प्रयाग की ओर चले रघुनाथा
प्रयाग
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Hari Anant Hari Katha Ananta - Ravindra Jain

हो ओ हरी अनंत हरी कथा अनंता आ आ
कहहि सुनहि बहु बिधि सब संता
राम सिया राम,सिया राम जै जै राम
राम सिया
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Ram Jai Jai Ram Main To Ram Hi Ram Pukarun - Ravindra Jain

राम जय जय राम श्री राम जय जय राम
मैं तो राम ही राम पुकारूँ
श्री राम नही मोरी सुध लीनि मैं कब से राह
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Ram Bhakt Le Chala Re Ram Ki Nishaani - Ravindra Jain

प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भरत शीश धरी लीन्ही
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी
राम भक्त ले चला रे
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Ram Kahani Suno Re Ram Kahani Shri Ram Jai Ram Jai Jai Ram - Ravindra Jain

राम कहानी सुनो रे राम कहानी
राम कहानी सुनो रे राम कहानी
केहत सुनत आवे
केहत सुनत आवे अखियां मै पानी
राम
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Raja Ram Ji Ki Jai Siya Ram Ji Ki Jai Jai Jai Ram Siya Ram - Ravindra Jain

राजा राम जी की जय सिया राम जी की जय
राजा राम जी की जय सिया राम जी की जय
राजा राम जी की जय सिया राम जी की
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Achyutam Keshavam Krishna Damodaram - Ravindra Jain

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदर
राम नारायणं जानकी वल्लभम
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं
राम नारायणं जानकी
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Jivan Se Sangharsh Ka - Chandrani Mukherjee - Ravindra Jain

जीवन से संघर्ष का कौशल करे प्रदान
मूनिवर देते कृष्णा को धनूर वेद का ज्ञान
करते सर संग्राम
दुर्गम लक्ष्य का
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Shri Krishna Tumhi Vishnu Tumhi Adhbudh Maya Dhari - Chandrani Mukherjee - Ravindra Jain

श्री कृष्णा तुम्ही, विष्णु तुम्ही अद्भुत मायाधारी
हम आरती करें तिहारी
अखिलेश्वर हो, निखिलेश्वर हो
सुर नर मुनि
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Prathamam Matsarupascha - Ravindra Jain

प्रथमाम मत्स्या रूपश्चा वेदोधारमेवाचा
द्वितियाँ कुर्मा रूपश्चा पर्वतोद्धारामेवाचा
वरहा रूपम तृतीयास्चा
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Yug Yug Ke Saathi Hain Dono - Ravindra Jain - Hemlata

युग युग के साथी हैं दोनो
प्रथम मिलन जैसा अभिनय है
यह अद्भुत लीला है जैसी चिरपरिचित से फिर परिचय है
यह
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Bhoop Biloke Jabahin Muni Aavat - Ravindra Jain - Hemlata

भूप बिलोके जबहिं मुनि आवत सुतन्ह समेत
उठे हरषि सुखसिंधु महुँ चले थाह सी लेत
मुनिहि दंडवत कीन्ह महीसा
बार
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Jan Jan Ke Priye Ram Lakhan Siya Van Ko Jaate Hain - Ravindra Jain - Kavita Krishnamurthy

विधना तेरे लेख किसी के, समझ न आते है
जन जन के प्रिय राम लखन सिय, वन को जाते है
जन जन के प्रिय राम लखन सिय
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Kanha Re Thoda Sa Pyaar De - Ravindra Jain - Kavita Krishnamurthy

कान्हा रे थोडा सा प्यार दे
चरणों में बैठा के तार दे
ओ गोरी, घूंघट उतार दे,
प्रेम की भिक्षा झोली में दार
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