ये क्या ज़िंदगी है ये कैसा जहाँ है
ये क्या ज़िंदगी है ये कैसा जहाँ है
जिधर देखिये ज़ुल्म की दास्तां है
ये क्या ज़िंदगी है ये कैसा जहाँ है
कहीं है कफ़स में किसीका बसेरा
कहीं है निगाहों में ग़म का अंधेरा
कहीं दिल का लुटता हुआ कारवां है
जिधर देखिये ज़ुल्म की दास्तां है
ये क्या ज़िंदगी है ये कैसा जहाँ है
यहाँ आदमी आदमी का है दुश्मन
यहाँ चाक इनसानियत का है दामन
मोहब्बत का उजड़ा हुआ आशियां है
जिधर देखिये ज़ुल्म की दास्तां है
ये क्या ज़िंदगी है ये कैसा जहाँ है
ये बेरहम दुनिया समझ में न आए
यहाँ कर रहे हैं सितमग़र ख़ुदाई
न जाने तू ऐ दुनियावाले कहाँ है
जिधर देखिये ज़ुल्म की दास्तां है
ये क्या ज़िंदगी है ये कैसा जहाँ है
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