जय जननी जय भारती जय जय जननी जय भारती
जय जननी जय भारती जय जय जननी जय भारती
जय जननी जय भारती जय जय जननी जय भारती
जय जननी जय भारती जय जय जननी जय भारती
जिसके गुरु कुल सजा रहे हैं सच्चे सुख की आरती
जिसके गुरु कुल सजा रहे हैं सच्चे सुख की आरती
अंबर गाता सारी धरती बारम्बार पुकारती
जय जननी जय भारती जय जय जननी जय भारती
जय जननी जय भारती जय जय जननी जय भारती
इसी छाँह में राह सत्य की सुख का यही प्राकश है
सुख का यही प्राकश है
हरा बिछौना पृर्थवी का ऊपर नीला आकाश है
ऊपर नीला आकाश है
समता ममता यहाँ सभ्यता का सिंगार सँवारती
जय जननी जय भारती (जय जननी जय भारती)
जय जय जननी जय भारती (जय जय जननी जय भारती)
जय जननी जय भारती (जय जननी जय भारती)
जय जय जननी जय भारती (जय जय जननी जय भारती)
इसी तपोवन के आँगन में खेल चुके श्री राम हैं
खेल चुके श्री राम हैं
इसी धूल पर माखन मिश्री बाँट गए घनश्याम हैं
बाँट गए घनश्याम हैं
धरकर नर का रूप यहीं भगवान बने हैं सारथी
जय जननी जय भारती (जय जननी जय भारती)
जय जय जननी जय भारती (जय जय जननी जय भारती)
जय जननी जय भारती (जय जननी जय भारती)
जय जय जननी जय भारती (जय जय जननी जय भारती)
                                
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