भारत भूमि महान है
तीर्थ इसके प्राण
चारो दिशा में चौ मुख दीप से
इसके चारो धाम है
भारत भूमि महान है
तीर्थ इसके प्राण
हे बद्री नारायण धाम से
जहां विष्णु भगवान विराजे रे
विष्णु भगवान विराजे
हे तीर्थ पावन जन मन भावन
हे तीर्थ पावन जन मन भावन
निस दिन नोबत बाजे रे भैया
निस दिन नोबत बाजे रे
है ई
हे द्वारिका में देखो
द्वारकाधीश न सुन्दर रूप सजिला
सुन्दर रूप सजिला
हे भक्त जनों के पावन प्रेम से
जिसके आँगन गीला जिसके आँगन गीला
रे कानुड़ा जोई रे तेरी लीला
भारत भूमि महान है
तीर्थ इसके प्राण
अरे ओ
तिनो जगत के नाथ जहाँ
ओ तिनो जगत के नाथ जहाँ है
सो जगन्नाथ की झाँकी
तिनो जगत के नाथ जहाँ
सवानी सूरत मोहनी मूरत
नैनन की छबी बाक़ी
नैनन की छबी बाक़ी
ओ ओ
नैनन की छबी बाक़ी
इस धरती को प्रणाम है
जहा संतो का विश्राम है
चारो दिशा में चौ मुख दीप से
इसके चारो धाम है
भारत भूमि महान है
तीर्थ इसके प्राण
Log in or signup to leave a comment
Login
Signup