शाम भई घनश्याम न आये
शाम भई घनश्याम न आये
शाम भई घनश्याम न आये
सबके काम बनते फिरते
सबके काम बनते फिरते
मुझ दुखिया के काम न आये
शाम भई घनश्याम न आये
शाम भई
मन मे आग नयन मे पानी
मन मे आग नयन मे पानी
किसको सुनाऊ दुख की कहानी
मैं रोउ ओर हस्ती है दुनिया
कब्से मुझे बदनाम ना आई
शाम भई घनश्याम न आये
शाम भई
पथ हैरत पथरा गयी अंखिया
पथ हैरत पथरा गयी अंखिया
मुरझाई पलकों की पत्तियां
मैं बिरहँ सीता सी व्याकुल
जिसके राजा राम न आये
शाम भई घनश्याम न आये
शाम भई घनश्याम न आये
शाम भई
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