Lahron Pe Laher

लहरों पे लहर उल्फ़त है जवां
रातों की सहर चली आओ यहाँ
सितारे टिमटिमाते हैं तू आजा आजा
मचलती जा रही है ये हवाएं आजा आजा
लहरों पे लहर उल्फ़त है जवां
रातों की सहर चली आओ यहाँ

सुलगती चाँदनी में थम रही है तुझ पे नजर
कदम ये किस तरफ़ बढ़ते चले जाते हैं बेखबर
ज़माने को है भूले हम अजब सी ख्वाब ये सफ़र
लहरों पे लहर उल्फ़त है जवां
रातों की सहर चली आओ यहाँ

ना जाने कौनसी राहें हमारा कौन सा है जहान
सहारे किसके हम ढूँढे, हमारी मंजिल है कहाँ
सदा दिल की मगर कहती है मेरी दुनिया है यहाँ
लहरों पे लहर उल्फ़त है जवां
रातों की सहर चली आओ यहाँ
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