हँसे पेड़ जब तब तो बादल हँसे
हँसे जब नदी तब तो सागर हँसे
होके इंसान भी हम हँसे ना कभी
बस यही सोचकर खुद पे हम हंस लिए
जीना है किस लिए
जीवन है इस लिए
ज़िंदादिली से क्यों न हम जियें
जीना है किस लिए
जीवन है इस लिए
ज़िंदादिली से क्यों न हम जियें
रिश्ते हैं किस लिए
समझते हैं इस लिए
जीना भी वरना और है किस लिए
ये ख़िज़ाँ और वो बहार
दो घडी के हैं खुमार
बदलना ही तो क़ुदरत में
क़ायम का रहा किरदार
ये ख़िज़ाँ और वो बहार
दो घडी के हैं खुमार
बदलना ही तो क़ुदरत में
क़ायम का रहा किरदार
बदलेंगे किस लिए संवरेंगे इस लिए
बदल के हंस दिए तो जी लिए
जीना है किस लिए जीवन है इस लिए
ज़िंदादिली से क्यों न हम जियें
आंसू के जो धारे हैं
ये ग़म के शरारे हैं
जो उनको पोंछ दे बस
वो ही तो तुम्हारे हैं
आंसू के जो धारे हैं
ये ग़म के शरारे हैं
जो उनको पोंछ दे बस
वो ही तो तुम्हारे हैं
आंसू है किस लिए
सर दर्द इस लिए
मुस्कान से आंसू भी धो लिए
जीना है किस लिए
जीवन है इस लिए
ज़िंदादिली से क्यों न हम जियें
रिश्ते हैं किस लिए
समझते हैं इस लिए
जीना भी वरना और है किस लिए