ये किसी का तसव्वुर है
ये किसका फसाना है
जो अशक हैं आंसू में
तकबीह का दाना है
ये किसी का तसव्वुर है
आंखों में नाम सी है
चुप-चुप से वो बैठे हैं
आंखों में नाम सी है
चुप-चुप से वो बैठे हैं
नाज़ूक सी निगाहों में
नाज़ूक सा फ़साना है
ये किसी का तसव्वुर है
ये इश्क़ नहीं आसान
इतना तो समाज लीजे
इक आग का दरिया है और
दूब के जाना है
हां वो द खफा हमसे
या हम हैं खफा उनसे
हां वो द खफा हमसे
या हम हैं खफा उनसे
कल उनका ज़माना था
आज अपना ज़माना है
ये किसी का तसव्वुर है
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