तुझे देख कर जग वाले पर
तुझे देख कर जग वाले पर
यकीं नहीं क्यों कर होगा
तुझे देख कर जग वाले पर
यकीं नहीं क्यों कर होगा
जिसकी रचना इतनी सुन्दर
हु कितना सुन्दर होगा
हु कितना सुन्दर होगा
ओ ओ ओ ओ
आ आ आ आ आ
तुझे देखने को मैं क्या
हर दर्पण तरसा करता है
जो तुलसी के बिरवा को हर
आंगन तरसा करता है
हर आंगन तरसा करता है
अंग अंग तेरा राश की गंगा
हो हो हो हो
अंग अंग तेरा राश की गंगा
रूप का हु सगर होगा
जिसकी रचना इतनी सुन्दर
हु कितना सुन्दर होगा
हु कितना सुन्दर होगा
ओ ओ ओ ओ
राग रंग राश का सगम
आधार तू प्रेम कहानी का
मेरे प्यासे मन में यु
उतरी जो रेट में झरना पानी का
जो रेट में झरना पानी का
अपना रूप दिखाने को
अपना रूप दिखाने को
तेरे रूप में खुद ईश्वर होगा
जिसकी रचना इतनी सुन्दर
हु कितना सुन्दर होगा
हु कितना सुन्दर होगा
हु कितना सुन्दर होगा
ओ ओ ओ ओ
आ आ आ आ आ
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