तेरा मेरा ये फ़साना
पूरे रहे अधूरे सही
फिर क्यों भला उन लम्हो से ही
गुज़ारा करूँ आहें भरु
चार दीवारी ये तेरे बिना कैद सा लागे
बारिश की छींटे तेज़ाब सा क्यूँ जलाये
का करूँ सजनी आये ना बालम
का करूँ सजनी आये ना बालम
दरवाज़े पे दस्तक हुयी
सच में कहीं तू तो नहीं
बाहों में तू मरके मुझे होठों से छू कर तो देख
तू सच या भरम जान लो
सारे मौसम पतझड़ जैसे क्यूँ लागे
मेरे सिरहाने तू बैठा ऐसा क्यूँ लागे
का करूँ सजनी आये ना बालम
का करूँ सजनी आये ना बालम
रोवत रोवत हाय कल नहीं आये
तड़प तड़प मोहे राम कल नहीं आये
निस दिन मोहे विरहा सताये
याद आवत जब उनकी बतियाँ