ज्वाला सी जलती है आँखो मे जिसके भी
दिल मे तेरा नाम है
परवाह ही क्या उसका आरंभ कैसा है
और कैसा परिणाम है
धरती अंबर सितारे, उसकी नज़रे उतारे
डर भी उससे डरा रे, जिसकी रखवालिया रे
करता साया तेरा
हे देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा
देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा
हो तेरी धूलि का टीका किए
देवा जो भक्त तेरा जिए
उसे अमृत का है मोह क्या
हँस के विष का वो प्याला पिए
तेरी महिमा की छाया तले
काल के रथ का पहिया चले
एक चिंगारी प्रतिशोध से
खड़ी रावण की लंका जले
शत्रुओं की कतारें एक अकेले से हारे
कण भी परबत हुआ रे
श्लोक बन के जहाँ रे
नाम आया तेरा हे देवा श्री गणेशा
देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा
देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा