Sakhi Ri Laaj Bairan Bhai

सखी री लाज बैरन भई
सखी री लाज बैरन भई
श्री लाल गोपाल के संग
काहे नाही गयी
सखी री लाज बैरन भई

चलन चाहत गोकुल ही ते ए ए ए ए ए ए
चलन चाहत गोकुल ही ते
रथ सजायो नही
रथ चढ़ाए गोपाल लई गयो
रथ चढ़ाए गोपाल लई गयो
हाथ मींजत रही
सखी री लाज बैरन भई

कठिन छाती श्याम बिछुरत
कठिन छाती श्याम बिछुरत
कठिन छाती श्याम बिछुरत
बिरह मेतनतई
दास मीरा लाल गिरिधर
दास मीरा लाल गिरिधर
बिखर क्यूँ आ गयी
सखी री लाज बैरन भई
सखी री लाज बैरन भई
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