रंगमेहल के दस दरवाज़े
रंगमेहल के दस दरवाज़े
ना जाने कौन सी खिड़की खुली थी
सैयां निकस गए मै ना लड़ी थी
सैयां निकस गए मै ना लड़ी थी
सर को झुकाए मै तो चुपके खडी थी
सैयां निकस गए मै ना लड़ी थी
सैयां निकस गए मै ना लड़ी थी
पीया कौन गली गए श्याम
पीया कौन गली गए श्याम
मेरी सुध ना लीन्ही हाय राम
पीया कौन गली गए श्याम
अंग मेरे गहने प्यासी उमरिया
अंग मेरे गहने प्यासी उमरिया
जोगन हो गई मै बिन सांवरिया
हाथों में मेरे मेंहदी रची थी
मेहदी में मेरे अंसुवन की लड़ी थी
सैयां निकस गए मै ना लड़ी थी
सैयां निकस गए मै ना लड़ी थी
आ आ आ आ
आ आ आ आ
छोड़ पिया घर नैहर जाउँ
छोड़ पिया घर नैहर जाउँ
वादे हरी अब सिष झुकाऊं
कर सिंगार मै दुल्हन बनी थी
ऐसी दुल्हन से कुंवारी भली थी
सैयां निकस गए मै ना लड़ी थी
सैयां निकस गए मै ना लड़ी थी
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