रुके रुके से कदम रुक के बार बार चले
रुके रुके से कदम रुक के बार बार चले
क़रार लेके तेरे दर से बेक़रार चले
रुके रुके से कदम रुक के बार बार चले
रुके रुके से कदम
सुबह ना आयी कई बार नींद से जागे
सुबह ना आयी कई बार नींद से जागे
थी एक रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले
थी एक रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले
रुके रुके से कदम
उठाये फिर दे के एहसान दिल का सीने पर
उठाये फिर दे के एहसान दिल का सीने पर
ले तेरे कदमों पे ये क़र्ज़ भी उतार चले
ले तेरे कदमों पे ये क़र्ज़ भी उतार चले
क़रार लेके तेरे दर से बेक़रार चले
रुके रुके से कदम रुक के बार बार चले
रुके रुके से कदम
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