पूछो न पूछो न कैसे हाय जी
कैसे पहली रात गुज़री
कैसे कहूँ क्या हाय कहु
क्या मेरे साथ गुज़री
पूछो न कैसे हाय जी
कैसे पहली रात गुज़री
कैसे कहूँ क्या हाय कहु
क्या मेरे साथ गुज़री
वो पास मेरे आ बैठा
मैं पीछे हट गयी
वो और आगे खिसका
मैं और सिमट गयी
उसने पकड़ी कलाई
मैंने झट से छुड़ाई
उसने थामा आँचल
तो मैं भागी मचल कर
पर दरवाजा बंद था
जाती तो कहा जाती
थर थर लगी कापने
जैसे दिए की बाती
हो जैसे दिए की बाती
तो पकड़ लिया सैया ने लपक के मेरा हाथ
फिर फिर पूछो न पूछो न कैसे हाय जी
कैसे पहली रात गुज़री
कैसे कहूँ क्या हाय कहु
क्या मेरे साथ गुज़री
ले आया हाथ पकड़ के
फिर सेज पे सैया
मैं कुछ न बोली चाली
बस पड़ गयी पइया
उसने बाहों में लेके
मुझको पास बिठाया
फिर धीरे से उसने
घुंगट मेरा उठया
मैं तो शर्म से मर गयी
मैं धरती में गड गयी
मेरी सांसे रुक गयी
मेरी धड़कन बढ़ गयी
ओ मेरी धड़कन बढ़ गयी
मछली की तरह मैं तडपी
पर छुडा न सकी ना हाथ फिर
फिर पूछो न पूछो न कैसे हाय जी
कैसे पहली रात गुज़री
कैसे कहूँ क्या हाय कहु
क्या मेरे साथ गुज़री
फिर न जाने क्या सूझी
सैया नटखट को वो
लगा चुमने गालो
पे बिखरी लट को
मैं लट को सुलझाऊ
वो उलझता जाये
मे दूर हटती जाउ
वो बढ़ता ही आये
जब कुछ भी न सूझी
तो सब बात पलट गयी
और मैं खुद ही पिया के
सीने से लिपट गयी
हाय सीने से लिपट गयी
तो सुन की उसकी धड़कन मेने ओर समझ गयी सब बात
फिर फिर बोल न अरे बोल न क्या हुआ फिर पूछो न ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म
कैसे कहूँ क्या ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म पूछो न कैसे हाय जी कैसे पहली रात गुज़री
कैसे कहूँ क्या हाय कहु क्या मेरे साथ गुज़री
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