ओ ओ ओ ओ ओ ओ
नादिया पे लहरे लहरो पे नैया
नैया मे पतवार
फिर तुम क्यों उस पार ए साजन
और मैं हूँ इस पर
ओ जी मैं तडपू इस पार
ओ जी मैं तरसू इस पार
नादिया पे लहरे लहरो पे नैया
नैया मे पतवार
फिर तुम क्यों उस पार ए साजन
और मैं हूँ इस पर
ओ जी मैं तडपू इस पार
ओ जी मैं तरसू इस पार
आ आ आ आ आ आ
नादिया किनारे एक गांव हे
गांव मे अंबुवा की छाव हे
छाव मे रहे एक जोगी
जैसे मन मे रहे सजना
जोगी बजाए बाँसुरी
बाँसुरी दर्द से है भरी
दर्द भरी इस तान से
गुँज़े रे मेरा अंगना
नादिया पे लहरे लहरो पे नैया
नैया मे पतवार
फिर तुम क्यों उस पार ए साजन
और मैं हूँ इस पर
ओ जी मैं तडपू इस पार
ओ जी मैं तरसू इस पार
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
बेकली मे है ये मन
मन मे है लगी अगन
ओ बेकली मे है ये मन
मन मे है लगी अगन
तू आके बुझा दे सजन
नगरी मे गली जैसे
बगिया मे कली जैसे
कलियों मे सजना जैसे खुशबु
सपनो मे है तू
नादिया पे लहरे लहरो पे नैया
नैया मे पतवार
फिर तुम क्यों उस पार ए साजन
और मैं हूँ इस पर
ओ जी मैं तडपू इस पार
ओ जी मैं तरसू इस पार
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
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