मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें
मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें
मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें
कैसे भी गुज़ारी हो तुमने अपनी रातें
जैसी भी हो तुम आज से बस मेरी हो
जैसी भी हो तुम आज से बस मेरी हो
मेरी ही बनके रहना
मुझे तुमसे है इतना कहना
मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें
कैसे भी गुज़ारी हो तुमने अपनी रातें
बीते हुए कल पे तुम्हारे
अधिकार नहीं है मेरा
बीते हुए कल पे तुम्हारे
अधिकार नहीं है मेरा
उस द्वार पे क्यों मै जायूँ
जो द्वार नहीं है मेरा
बीते हुवा कल तो बीत चूका
कल का दुःख आज न सहना
मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें
कैसे भी गुज़ारी हो तुमने अपनी रातें
मैं राम नहीं हूँ फिर क्यों
उम्मीद करूँ सीता की
मैं राम नहीं हूँ फिर क्यों
उम्मीद करूँ सीता की
कोई इंसानों में ढूंढें
क्यों पावनता गंगा की
दुनिया में फ़रिश्ता कोई नहीं
इंसान ही बनके रहना
मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें
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