Mitwa

हर संत कहे, साधु कहो
सच और सहस है जिसके मन में
चींटी में जीत उसिकी रहे

आजा रे आजा रे, आजा रे आजा रे
कितने कितने लंबे हो जाते हैं, हो
ठके ना तेरा ये तन, हो
आजा रे आजा रे, सुन ले पुकारे दगरिया
रहे न ये रस्ते तरस्ते, हो, तू आजा रे
क्या धरती का है राजा तू, ये बात जान ले तू
कथिनायी से तकरा जा तू, नहीं हार मान ले तू
मितवा, सुन मितवा, तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अंबर है रे
ओ मितवा, सुन मितवा, तुझको क्या डर है रे
धरती अपनी है, अपना अंबर है रे
तू आजा रे

सुन लो रे मित्वा
जो है तुम्हारे मन में, वो हमारे मन में
जो सपना है तुम्हारा, सपना वही हमरा है
जीवन में

हां, चले हम लिए आसा के दिए नयन में
दिए हमरी आसों के कभी बुझ न पाए

कभी आँधियाँ जो आके इनको बुझाये

ओ मितवा, सुन मितवा, तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अंबर है रे
ओ मितवा, सुन मितवा, तुझको क्या डर है रे
धरती अपनी है, अपना अंबर है रे
तू आजा रे

ता ना, त ना ना ना, त ना ना ना ना
ता ना, त ना ना ना, ता ना ना ना
ता ना, ता ना ना ना, ता ना ना ना ना, आजा रे
ता ना, त ना ना ना, त ना ना ना ना
ता ना, त ना ना ना, ता ना ना ना
ता ना, ता ना ना ना, ता ना ना ना ना, आजा रे

सुन लो रे मित्वा
पुरवा भी गायेगी, मस्ती भी छाएगी
मिल्के पुकारो तो
फूल वाली जो रुत है, आएगी

हां, सुख भरे दिन, दुख के बिनलायेगी
हम तुम सजये आओ, रंगो के मेले

रहते हो बोलो कहे तुम यूं अकेले
मितवा, सुन मितवा, तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अंबर है रे
ओ मितवा, सुन मितवा, तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अंबर है रे
तू आजा रे

ओ मितवा, सुन मितवा, तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अंबर है रे
ओ मितवा, सुन मितवा, तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अंबर है रे
ओ मितवा, सुन मितवा, तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अंबर है रे

ओ मितवा, सुन मितवा, तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अंबर है रे
तू आजा रे, तू आजा रे, तू आजा रे
तू आजा रे
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