Mehrama

चाहिए किसी साये में जगह
चाहा बहोत बार है
ना कहीं कभी मेरा दिल लगा
कैसा समझदार है
मैं ना पहुँचूँ क्यों वहां पे
जाना चाहूँ मैं जहां
मैं कहाँ खो गया
ऐसा क्या हो गया
ओ मेहरमा क्या मिला
यूँ जुदा होके बता
ओ मेहरमा क्या मिला
यूँ जुदा होके बता
ना खबर अपनी रही
ना खबर अपनी रही
ना रहा तेरा पता
ओ मेहरमा क्या मिला
यूँ जुदा होके बता

जो शोर का हिस्सा हुई
वो आवाज़ हूँ लोगो में हूँ
पर तन्हा हूँ मैं

ह तन्हा हूँ मैं
दुनिया मुझे मुझ से जुदा ही करती रहे
बोलूं मगर ना बातें करूँ

ये क्या हूँ मैं

सब है लेकिन मैं नही हूँ
वो जो थोड़ा था कमी
वो हवा हो गया
क्यों खफा हो गया
ओ मेहरमा क्या मिला
यूँ जुदा होके बता
ओ मेहरमा क्या मिला
यूँ जुदा होके बता
ना खबर अपनी रही
ना खबर अपनी रही
ना रहा तेरा पता
ओ मेहरमा क्या मिला
यूँ जुदा होके बता
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