सच का गला घोट के
झूठ ने साजिश रचदी है
गुनेहगार ज़िंदा है
अब ज़ुर्म ने भी हद करदी है
जब कोई नही महफूज़ हो
इंसाफ़ से महरूम हो
तब दिल को कही ना कही लगता है
खुदा मौजूद है
यादा-यादा ही धर्मास्या
ग्लानि भावती भरते
अभ्युतानाम आधर्मास्या
तदतमानम सृजामयाहाँ
हैरत जदा मंज़र है
हर हाथ में खंजर है
ओह ओ नज़रे सभी कातिल है
अपराध का समंदर है
परित्रनाया सधुनाम
विनासया च दूसकर्ता
धर्मा संस्थापंरथाया
संभवमी यूगे-यूगे
लहू किसी का तो खौलेगा
इंसाफ़ कोई तोलेगा
खुदा मौजूद है
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