Kaun Jaane

कौन जाने कौन जाने
कौन जाने कौन जाने
कौन जाने क्यों ऐसा होता हैं
जब कोई चैन अपना खोता हैं
जब कोई सपना टूट जाता हैं
जब कही कोई छूट जाता हैं
आँखें यह गम छुपा भी लेती हैं
दिल मगर हौले हौले रोता हैं
कौन जाने कौन जाने

फूल खिलते हैं तोह मुर्झाते भी हैं
दिल धड़कते हैं तोह गम पाते हैं
रुत जो आती हैं तोह चली जाती हैं
लोग मिलते हैं तोह खो जाते हैं
दिल मगर हौले हौले रोता हैं

वा उ वा उ वा उ वा उ आ आ आ आ

लोग ऐसे भी दिन बीताते यहीं
जो भी गम हैं उसे छुपाते हैं
कोई शिकवा गिला नहीं करते
जखम खा कर भी मुस्कुराते हैं
गुल मगर हौले हौले रोते हैं
कौन जाने क्यों ऐसा होता हैं
जब कोई चाईं अपना खाता हैं
जब कोई सपना टूट जाता हैं
जब कही कोई छूट जाता हैं
आँखें यह गम छुपा भी लेती हैं
दिल मगर हौले हौले रोता हैं
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