हिन्दू हूँ मैं न मुसलमान हूँ
हिन्दू हूँ मैं न मुसलमान हूँ
मज़हब से अपने मैं अन्जान हूँ
बस इतना पता है मैं इंसान हूँ
हिन्दू हूँ मैं न मुसलमान हूँ
मज़हब से अपने मैं अन्जान हूँ
बस इतना पता है मैं इंसान हूँ
इतना पता है मैं इंसान हूँ
जिसको पता हो बोले
मज़हब का राज़ खोले
मैं जब पैदा हुआ था
लिखा हुआ नहीं था
चहरे पे नाम मेरा
सब को सलाम मेरा
लोगों ने जो भी पुकारा
मैं बन गया बेचारा
बात समझ नहीं आती
किसका बनूँ मैं साथी
तौबा है
तौबा है मैं कितना नादाँ हूँ
मज़हब से अपने मैं अन्जान हूँ
बस इतना पता है मैं इंसान हूँ
इतना पता है मैं इंसान हूँ
लिक्खा-पढ़ा नहीं मैं
रखता हूँ इसपे यकीं मैं
मैंने कहीं सुना है
किसी शायर ने कहा है
मज़हब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना
कहने का ये मतलब है
ये कौन सा मज़हब है
जिसने तुम्हें भडकाया
आपस में लड़ना सिखाया
तुम हो ख़फ़ा
तुम हो ख़फ़ा और मैं हैरान हूँ
मज़हब से अपने मैं अन्जान हूँ
बस इतना पता है मैं इंसान हूँ
इतना पता है मैं इंसान हूँ
ओम नमः शिवाय
अल्लाह हूअकबर
मंदिर मस्ज़िद गुरुद्वारे
मंदिर मस्ज़िद गुरुद्वारे
मालिक के घर हैं सारे
ह से हिंदू बना है
म से मुस्लिम बना है
ह और म से जानो
हम सब बने दिवानो
दो हाथ पाँव मेरे
दो हाथ पाँव तेरे
जब जिस्म है एक जैसे
फिर हम जुदा हैं कैसे
पहचानो मैं सच की पहचान हूँ
मज़हब से अपने मैं अन्जान हूँ
बस इतना पता है मैं इंसान हूँ
इतना पता है मैं इंसान हूँ
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