देखा है ज़िन्दगी को
कुछ इतना करीब से
देखा है ज़िन्दगी को
कुछ इतना करीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
देखा है ज़िन्दगी को
कुछ इतना करीब से
कहने को दिल की बात जिन्हें ढूँढते थे हम
कहने को दिल की बात जिन्हें ढूँढते थे हम
महफ़िल में आ गए हैं वो अपने नसीब से
देखा है ज़िन्दगी को
कुछ इतना करीब से
नीलाम हो रहा था किसी नाज़नीं का प्यार
नीलाम हो रहा था किसी नाज़नीं का प्यार
क़ीमत नहीं चुकाई गई एक गरीब से
देखा है ज़िन्दगी को
कुछ इतना करीब से
तेरी वफ़ा की लाश पे, ला मैं ही डाल दूँ
तेरी वफ़ा की लाश पे, ला मैं ही डाल दूँ
रेशम का ये कफ़न, जो मिला है रक़ीब से
देखा है ज़िन्दगी को
कुछ इतना करीब से.
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