बुझा दो दीपक हूँ अन्धेरा कर दो
बुझा दो दीपक हूँ अन्धेरा कर दो
उठा दो घूँघट हाय सवेरा कर दो
बुझा दो दीपक हूँ अन्धेरा कर दो
उठा दो घूँघट हाय सवेरा कर दो
बुझा दो दीपक
शरम के मारे हाथों से ये चेहरा ढाँप के
शरम के मारे हाथों से ये चेहरा ढाँप के
न दूर दूर जाओ सर से काँप काँप के
कि अब आओ पास, मेरी प्यास तो बुझा दो
कोई ग़म है तो हाय वो मेरा कर दो
बुझा दो दीपक
बदल लो रूप अपना आज मेरे प्यार से
बदल लो रूप अपना आज मेरे प्यार से
सजा दो मेरी सूनी सेज को बहार से
खुशी के फूल ग़म के धूल पे बिछा के
इसे खुशियों का हाय बसेरा कर दो
बुझा दो दीपक
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