बना के क्यूँ बिगाडा रे
बना के क्यूँ बिगाडा रे
बिगाड़ा रे नसीबा
ऊपर वाले ऊपर वाले
बना के क्यूँ बिगाडा रे
बिगाड़ा रे नसीबा
ऊपर वाले ऊपर वाले
बना के क्यूँ बिगाडा रे
जो तुझको मंजूर नहीं था
फूल खिले इस प्यार के
फिर क्यों तूने इन आँखों को
रंग दिखाए बहार के
आस बंधा के प्यार जता के
बिगाडा रे नसीबा
ऊपर वाले ऊपर वाले
बना के क्यूँ बिगाडा रे
पाप करे इंसान अगर तो
वो पापी कहलाता है
तूने भी ये पाप किया फिर
कैसे कहूँ तू दाता है
राह दिखा के
राह पे ला के
बिगाडा रे नसीबा
ऊपर वाले ऊपर वाले
बना के क्यूँ बिगाडा रे
बिगाड़ा रे नसीबा
ऊपर वाले ऊपर वाले
बना के क्यूँ बिगाडा रे
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