बैठे हैं रहगुज़र पर दिल का दिया जलाये
शायद वो दर्द जाने शायद वो लौट आएं
बैठे हैं रहगुज़र पर दिल का दिया जलाये
बैठे हैं रहगुज़र पर
आकाश पर सितारे चल चल के थम गए हैं
आकाश पर सितारे चल चल के थम गए हैं हो ओ ओ
शबनम के सर्द आंसूं फूलों पे जम गए हैं
हम पर नहीं किसी पर ऐ काश रेहम खाये
शायद वो दर्द जाने शायद वो लौट आएं
बैठे हैं रहगुज़र पर
राहों में खो गयी हैं हसरत भरी निगाहें
राहों में खो गयी हैं हसरत भरी निगाहें हो ओ ओ
कब से लचक रहीं हैं अरमान की नर’म बाहें
हर मोड़ पर तमन्ना आहट उसी की पाये
शायद वो दर्द जाने शायद वो लौट आएं
बैठे हैं रहगुज़र पर दिल का दिया जलाये
बैठे हैं रहगुज़र पर
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